भ्रष्टाचार में लिप्त जिला आबकारी अधिकारी अल्मोड़ा को पद से हटाया न गया तो होगा आंदोलन

देहरादून। राज्य आंदोलनकारी परमानंद बधोली ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त मनोज कुमार उपाध्याय आबकारी अधिकारी अल्मोड़ा को तत्काल प्रभाव से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हटाये जाने एवं संपत्ति की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को नहीं हटाया गया तो आबकारी आयुक्त कार्यालय में आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। यहां परेड ग्राउंड स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू होेते हुए उन्होेंने कहा कि उत्तराखंड के मूल के अधिकारियों  को मुख्य पद से हटाकर अन्य स्थानों पर तैनाती दी जा रही है और जबकि भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित व गुरूग्राम निवासी महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले अधिकारी को जिले की जिम्मेदारी दी गई है जिसकी जितनी निंदा की जाये वह कम है।
उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जिला आबकारी अल्मोड़ा को तत्काल पद से हटाये जाने की मांग की है और उन पर कार्यवाही की जाये।
उन्होंने कहा कि 2018-19 में मनोज कुमार उपाध्याय तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी देहरादून पर नौ करोड़ रुपये का वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप पाये गये थे और जिसमें आबकारी आयुक्त द्वारा उसके खिलाफ 2029-20 में दंडात्मक कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी देहरादून मनोज कुमार उपाध्याय द्वारा की गई वसूली को राजस्व कोष में जमा करने के निर्देश दिये गये थे लेकिन उनके द्वारा न ही राजस्व जमा किया और न ही उसके खिलाफ कोई कार्रवाई। हुई, जबकि चव्वालीस आरोप इन पर दर्ज होने के बावजूद इन्हें अल्मोडा जिले का प्रभार दे दिया गया। उन्होंने कहा कि जिला आबकारी अधिकारी अल्मोड़ा मनोज कुमार उपाध्याय उत्तराखण्ड मूल का न होने के कारण यह उत्तराखण्ड राज्य में अत्यधिक जिलों में रह कर लूट-खसोट और अवैध रूप से वसूली कर रहा है। उन्होंने कहा कि मनोज कुमार उपाध्याय की संपत्ति की भी जांच की जाये। उन्होंने कहा कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को सलाखों के पीछे होना चाहिए था लेकिन राज्य सरकार इस पर इतना मेहरबान क्यों है कि इसे अल्मोड़ा जैसे शांतिप्रिय जिले की तैनाती दे दी गई है। उन्ह। ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं आबकारी आयुक्त से अनुरोध किया है कि मनोज कुमार उपाध्याय आबकारी अधिकारी अल्मोड़ा को तत्काल प्रभाव से पद हटाया जाये। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को नहीं हटाया गया तो इसके व विभाग के खिलाफ आबकारी आयुक्त कार्यालय में आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा और जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

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