जनहित में अभूतपूर्व पहल ‘गरुड़ रक्षक’

देहरादून । हिन्दुओं का महापर्व पूर्ण महाकुंभ शुरू हो गया है. इस बार का पूर्ण महाकुंभ बेहद खास है, क्योंकि इस तरह का आयोजन 12 चक्रों के बाद, 144 साल में एक बार होता है. इस पूर्ण महाकुंभ में रिकॉर्ड संख्या में लगभग 40 करोड़ भक्तों की भीड़ उमड़ने वाली है। यानी धरती पर सबसे बड़ा मानव समागम. परंतु इस असाधारण महोत्सव के बीच लोगों को एक गंभीर चिंता सताती आयी है. बड़ी संख्या में बच्चों के अपने परिवार से बिछड़ने की चिंता. बीते महाकुंभों में 250,000 से अधिक लोग गुम हो चुके हैं. इनमें बड़ी तादाद में बच्चे भी थे, जो बाद में शोषण के शिकार भी हुए या हमेशा के लिए अपने परिवार से बिछड़ भी गए।
यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण भी है और एक हकीकत भी. इससे बचने के लिए ‘गरुड़ रक्षक’ की शुरुआत की गई. इसमें डीएसपी म्यूचुअल फंड की फाल्को रोबोटिक्स और डेन्सु क्रिएटिव वेबचटनी से अहम साझेदारी हुई है. ‘गरुड़’ खोज और बचाव का एक बेमिसाल ऑफ़लाइन तंत्र है जो ड्रोन की मदद से काम करता है. इसलिए नेटवर्क की समस्या नहीं रहेगी और बच्चों को कम समय में उनके परिवारों से मिलाना मुमकिन होगा. यह नाम पौराणिक पक्षी गरुड़ से लिया गया है जो सुरक्षा और सतर्कता का प्रतीक है. ‘गरुड़ रक्षक’ आकाश में मौजूद रह कर बच्चों का रखवाला बना रहेगा। इसमें 1970 के दशक की नौसेना दिशा निर्धारण तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. निम्न आवृति वाले रेडियो बैण्ड् का प्रयोग करता है, ताकि लंबी दूरी तक संपर्क किया जा सके और उपग्रहों द्वारा सटीक निरीक्षण किया जा सके और वो भी कम से कम मूलभूत सुविधाओं के माध्यम से. किसी बच्चे के गुम हो जाने पर अभिभावक गुमशुदा तलाश केंद्र जा कर अपनी आईडी टैप करेंगे और ‘गरुड़ रक्षक तंत्रश् तुरंत सक्रिय हो जाएगा. बच्चे के कलाई से बंधा बैंड से प्राप्त समयोचित जियो-डेटा की मदद से ड्रोन अपना काम शुरू कर देगा और चंद मिनट में ही बच्चे के मौजूद होने की जगह दिखा देगा. यह ऊंचे आसमान में एक रंग-बिरंगा निशान लगाएगा जो बढ़ाया-घटाया जा सकता है. यह बचाव दल को भीड़ में रास्ता दिखाएगा। साथ ही मौक़े पर मौजूद बचाव दल को बच्चे की जानकारी भी भेजता रहेगा. नए दौर की ये तकनीक,, भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में भी तेज़, रूकावटों से परे और भरोसेमंद साधन है।

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