● रीन्यू के ‘गिफ्ट वार्म्थ’ कैंपेन ने हासिल बड़ी उपलब्धि, 2015 में शुरूआत के बाद से अब तक बांटे 1 मिलियन कंबल, देश भर में ज़रूरतमंद समुदायों को दिया सहयोग
● 10वें संस्करण के तहत इस सर्दी में बांटे गए 200,000 कंबल, इसमें से 5000 कंबल कुम्भ मेले में वितरित किए गए
देहरादून, : अग्रणी विकार्बोनीकरण समाधान कंपनी रीन्यू एनर्जी ग्लोबल पीएलसी ने अपने सालाना कैंपेन ‘गिफ्ट वार्म्थ’ के 10वें संस्करण को सफलतापूर्वक पूरा करने की घोषणा की है। रीन्यू ने 2015 में इस पहल की शुरूआत के बाद 1 मिलियन कंबल बांटने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल कर लिया है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे कुम्भ मेले के दौरान कंबल का आखिरी बैच वितरित कर कंपनी ने यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
इस साल रीन्यू ने प्रमुख क्षेत्रों में 200,000 से अधिक कंबल बांटें, जिसमें से उत्तराखंड के देहरादून और रुद्रप्रयाग में 23000 से अधिक कम्बल माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी व रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी श्री सौरभ गहरवाल द्वारा बांटे गए। बाकी राज्यों में एनसीआर, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, और राजस्थान शामिल रहे। हाल ही में कुम्भ मेले के दौरान 23 जनवरी को उत्तर प्रदेश सरकार में ओद्यौगिक विकास, निर्यात संवर्धन, एनआरआई एवं निवेश संवर्धन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता के हाथों कंबल बंटवाकर कंपनी एक मिलियन के ऐतिहासिक आंकड़े तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि तेज़ सर्दी के मौसम में संवेदनशील समुदायों को सहयोग प्रदान करने की रीन्यू की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इस साल के कैंपेन में कंबल वितरण अभियान के दौरान कई गणमान्य दिग्गज मौजूद रहे, जिनमें शामिल थे- रूद्रप्रयाग में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी; रायपुर में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा; उज्जैन और रतलाम में मध्य प्रदेश के केबिनेट मंत्री श्री इंदर सिंह परमार। इनकी भागीदारी सर्दियों के महीनों में ज़रूरतमंद समुदायों को सहयोग प्रदान करने की साझा प्रतिबद्धता को इंगित करती है।
वैशाली निगम सिन्हा, सह-संस्थापक एवं चेयरपर्सन ऑफ सस्टेनेबिलिटी, रीन्यू ने इस उल्लेखनीय यात्रा पर विचार रखते हुए कहा, ‘‘गिफ्ट वार्म्थ समाज पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के रीन्यू के मिशन का एक अभिन्न हिस्सा है। एक मिलियन कंबल बांटने की उपलब्धि रीन्यू के कर्मचारियों के समर्पण तथा स्थानीय समुदायों के साथ आपसी सहयोग की भावना को दर्शाती है। यह देखकर अच्छा लगता है कि किस तरह यह पहल सहानुभूति एवं देखभाल के आंदोलन में बदल गई है। हम आने वाले समय में भी इस तरह के प्रभावशाली प्रयासों को जारी रखने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।’
