देहरादून। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने हाल ही में भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय सहकारिता सम्मेलन में स्पष्ट संकेत दिया कि मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता तीनों क्षेत्रों में बहुत संभावनाएँ हैं। सहकारिता के योद्धा शाह ने यह संदेश दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सहकारिता के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है। इस मौके पर एनडीडीबी और एमपीसीडीएफ ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया, जिससे दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी आएगी। लंबे समय से सहकारिता से जुड़े शाह ने किसानों को आश्वस्त किया कि सहकारी दुग्ध समितियों से प्रोसेसिंग क्षमता में बढ़ोतरी होगी और किसान समृद्ध होंगे। पैक्स को पुनर्जीवित करने, डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने, उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग, शहरी सहकारी बैंकों, जिला सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों के सुचारू प्रबंधन के लिए अथक प्रयास किए जा रहे हैं। पहले पैक्स केवल अल्पावधि कृषि ऋण उपलब्ध कराते थे, लेकिन आज पैक्स 20 से अधिक प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे पैक्स की आय में भी वृद्धि भी हो रही है। कंप्यूटरीकृत पैक्स भारत की 13 भाषाओं में काम कर रही हैं। गरीब और किसान कल्याण की दिशा में युद्धस्तर पर काम करने वाले शाह के मार्गदर्शन में 3 नई सहकारी समितियों सहित सहकारिता क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना भी की गई है। भारत में सहकारिता आंदोलन लगभग 115 साल पुराना है और इस आंदोलन ने देश को अमूल, कृभको, और इफ्को जैसे महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठान दिए हैं, जो आज लाखों लोगों को रोज़गार दे रहे हैं। आजाद भारत में पूर्व की किसी भी सरकार ने सहकारिता क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया और न ही देश की संसद में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले में चर्चा की गई।
