देहरादून । उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उपाध्यक्ष नीति आयोग सुमन बेरी, भारत सरकार की अध्यक्षता में शनिवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में उत्तराखंड सरकार द्वारा जनहित में किए गए अभिनव प्रयासो एवं उपलब्धियों की जानकारी आयोग को दी। इसके साथ ही मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आयोग के समक्ष उत्तराखंड राज्य की विशेष परिस्थितियों के संदर्भ में अपेक्षित बिंदुओं को रखा। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा संचालित केन्द्रपोषित योजनाओं के लिए वन साइज फिट फॉर ऑल की परिकल्पना पर आधारित होने के कारण योजनाओं के निर्धारित मानको को बदलना तथा शिथिलता प्रदान करने के साथ ही अधिक विकेन्द्रीकरण, नियोजन एवं नीतियों की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि लैंगिक असमानता को कम करने हेतु उत्तराखण्ड यूसीसी एक्ट लागू किये जाने से महिलाओं को लैंगिक समानता का अधिकार प्राप्त होगें। इसके साथ ही राज्य में समान नागरिक संहिता, सख्त नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण विरोधी और दंगारोधी कानून लागू कर दिये गये हैं। इसी प्रकार लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण तथा सहकारी प्रबंध समितियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया गया है। राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू होने के फलस्वरूप सभी प्रकार की परीक्षाओं में शत-प्रतिशत पारदर्शिता आयी है, जिस कारण राज्य में विभिन्न परीक्षा परिणाम निर्धारित समय में जारी हुए हैं तथा युवाओं में सिस्टम के प्रति विश्वास स्थापित हुआ है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि प्रदेश में अधिक से अधिक निवेशको को आकर्षित करने हेतु राज्य सरकार द्वारा लगभग 25 निवेशोन्मुखी नीतियाँ बनायी गयी है। जिसके अन्तर्गत राज्य की निवेशक केन्द्रित नीतियाँ, बुनियादी ढाँचे में निवेश, कुशल जन शक्ति की उपलब्धता और सुशासन की नींव वर्ष 2023 में रखने के उपरान्त वैश्विक निवेश सम्मेलन में 3.56 लाख करोड़ के एमओयू के सापेक्ष वर्तमान तक रू0 75000 करोड़ के निवेश की ळतवनदकपदह हो चुकी है। राज्य सरकार द्वारा विकसित भारत के लक्ष्य में प्रभावी भागीदारी हेतु ऊर्जा, विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा, पर्यटन एवं औद्यानिकीकरण पर विशेष फोकस किया जा रहा है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और आपदाओं की दृष्टिगत हेलीकॉप्टर सेवा को बढ़ावा देना केवल पर्यटन ही नहीं यातायात की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के संबंध में अनुरोध किया कि पूर्वाेत्तर के राज्यों के भांति उत्तराखण्ड राज्य को भी 24 प्रतिशत ब्ंचपजंस ैनइेपकल वाली श्रेणी में सम्मिलित किये जाने के लिए नीति आयोग भारत सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि जल विद्युत योजनाओं अन्तर्गत 25 मेगावाट से कम क्षमता की परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन की अनुमति राज्य सरकार को प्रदान होने से राज्य में लगभग 170 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन क्षमता का यथाशीघ्र उपयोग हो सकेगा तथा लगभग 3000 मेगावाट तक विद्युत क्षमता का उपयोग विकसित भारत/2047 के विजन के अन्तर्गत स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन करते हुए छमर्ज मतव के लक्ष्यों को हासिल करने में भी सहयोग प्रदान करेगा।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य इको टूरिज्म को बढ़ावा देने हेतु कई कदम उठाये जा रहे है। इनमे प्रभावी कचरा प्रबंधन, ऊर्जा दक्षता एवं जल संरक्षण जैसी पर्यावरण अनूकुल मानकों का पालन करने वाले होमस्टे एवं लॉज आदि को स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग द्वारा प्रमाणित करना सम्मिलित है । नैनीताल और देहरादून के 79 होमस्टे को ग्रीन लीफ रेटिंग प्रदान की गई हैं। दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास योजना के माध्यम से स्थानीय लोगों को इको-फ्रेंडली होमस्टे स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता एवं प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों की आय में वृद्धि हो रही है। आयुष विभाग के सहयोग से 184 होमस्टे को वेलनेस स्टे के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 18 गांवों का थीमेटिक विकास हेतु चिन्हीकरण किया गया है। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत पिथौरागढ़ के गुंजी एवं चमोली के माणा गांव हेतु मास्टर प्लान तैयार किए जा रहे हैं। इसी प्रकार स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (ैच्।), नई दिल्ली द्वारा उत्तरकाशी में बघोरी और रुद्रप्रयाग में सारी गांव के लिए मॉडल विलेज विकास योजनाएं तैयार की जा रही हैं। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और फूलों की घाटी जैसे स्थानों पर जैव विविधता की छति कम करने हेतु सख्त नियम लागू किए गए है। केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे क्षेत्रों को प्लास्टिक मुक्त घोषित किया गया है. इस अभियान को अन्य पर्यटन स्थलों पर भी विस्तारित करने की योजना है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि वाईब्रेन्ट विलेज कार्यक्रम के अन्तर्गत तीन सीमान्त जनपदों उत्तरकाशी, चमोली तथा पिथौरागढ़ के 5 विकासखण्डों के कुल 51 गावों का चयन किया गया है। उक्त गांवों के विकास के लिये मुख्यतः पर्यटन विकास, आजीविका सृजन, ऊर्जा, सड़क निर्माण, कौशल विकास तथा समाजिक अवस्थानाओं का सुदृढीकरण किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशानुसर राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आहुत स्टेट लेवल एमपॉवर्ड कमेटी (एस०एल०एस०सी०) बैठक में अनुमोदन के उपरान्त रू0 520.13 करोड़ की कुल 523 योजनायें भारत सरकार को प्रेषित की गयी है, जिसके सापेक्ष रू0 195.76 करोड़ की 140 योजनायें स्वीकृत की गयी हैं। वाईब्रेन्ट विलेज कार्यक्रम के अन्तर्गत 43.96 कि०मी० सड़क निर्माण की स्वीकृत तथा 21 पुलों के निर्माण हेतु डी०पी०आर० गठित कर दी गयी है। विभिन्न गांवों में रैन शेल्टर, ।ततपअंस च्सं्रं प्रवेश द्वार, चौक पोस्ट आदि का निर्माण गतिमान है। गुंजी मनेला को शिव नगरी थीम पर विकसित किया जा रहा है तथा टूरिस्ट फैसीलिटी का सेंटर का निर्माण हेतु क्च्त् स्वीकृत हो गई है। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, राज्य सलाहकार नीति आयोग, भारत सरकार सोनिया पंत, सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, शैलेश बगौली, एस.एन.पाण्डेय, अपर सचिव विजय कुमार जोगदण्डे, सीपीपीजीजी के एसीईओ डॉ. मनोज पंत उपस्थित थे।